प्रदूषण को लेकर आईक्यू एयर विजुअल द्वारा कराए गए विश्व वायु गुणवत्ता 2019 सर्वे के मुताबिक, गाजियाबाद दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। गाजियाबाद में कई इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण शहर बुरी तरह से प्रदूषण की चपेट में आ चुका है। प्रदूषण के मामले में राजधानी दिल्ली का दुनिया में पांचवें स्थान पर है जबकि राजधानी के मामले में पहले स्थान पर है।
अन्य देशों के बड़े शहर भी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। गाजियाबाद के बाद चीन का होटन, पाकिस्तान का गुजरांवाला और फैसलाबाद का नंबर है। इन शहरों को भारत के गाजियाबाद की तुलना में ज्यादा प्रदूषित पाया गया है।
वहीं राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो प्रदूषण के मामले में दिल्ली की स्थिति बेहतर नहीं है। दिल्ली इस मामले में दुनिया में पांचवें स्थान पर है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत के 21 शहर दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में आते हैं।
भारत के प्रदूषित शहर
अन्य देशों के बड़े शहर भी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। गाजियाबाद के बाद चीन का होटन, पाकिस्तान का गुजरांवाला और फैसलाबाद का नंबर है। इन शहरों को भारत के गाजियाबाद की तुलना में ज्यादा प्रदूषित पाया गया है।
वहीं राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो प्रदूषण के मामले में दिल्ली की स्थिति बेहतर नहीं है। दिल्ली इस मामले में दुनिया में पांचवें स्थान पर है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत के 21 शहर दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में आते हैं।
भारत के प्रदूषित शहर
- गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, बंधवाड़ी, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, जींद, फरीदाबाद, कोरोट, भिवाड़ी , पटना, पलवल, मुजफ्फरपुर, हिसार, कुटेल, जोधपुर और मुरादाबाद।
आंकड़े यह बताते हैं कि भारत का स्थान प्रदूषण के मामले में पाकिस्तान, मंगोलिया, अफगानिस्तान और पड़ोसी देश बांग्लादेश के बाद पांचवें स्थान पर है।
हालांकि दिल्ली की स्थिति में पहले के मुकाबले काफी सुधार पाया गया है। वहीं, दिल्ली से सटे फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुरुग्राम और नोएडा के हालात भी लगातार बिगड़ रहे हैं। दिल्ली में प्रूदषण कम करने के लिए कई मुहिम चलाई गई, सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय हुआ, लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं हुआ।
हालांकि दिल्ली की स्थिति में पहले के मुकाबले काफी सुधार पाया गया है। वहीं, दिल्ली से सटे फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुरुग्राम और नोएडा के हालात भी लगातार बिगड़ रहे हैं। दिल्ली में प्रूदषण कम करने के लिए कई मुहिम चलाई गई, सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय हुआ, लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं हुआ।