खंडार उपखण्ड मुख्यालय के अनियाला गांव में मंगलवार को बाघ रिहायशी इलाके में सरसों के खेतों में छिप गया। इसके बाद वहां रहने वाले ग्रामीण परिवारों में हड़कंप मच गया। करीब 12 घंटे बाद भी बाघ को वन विभाग की टीम पकड़ नहीं सकी। इससे ग्रामीण दहशत में रहे। बताया जा रहा है कि यह बाघ रणथंभौर नेशनल अभ्यारण से निकल कर रिहायशी इलाके में आया। माना जा रहा है कि रणथम्भोर अभ्यारण्य से निकलने के बाद चम्बल नदी की तरफ से होते हुए अनियाला गांव की बेरवा बस्ती के पास खेतों में पहुंचा।
सूचना मिलने पर खंडार एसडीएम रतनलाल अटल, खंडार थानाधिकारी रामसिंह यादव, क्षेत्रीय वनाधिकारी मोहनलाल गर्ग सहित वन विभाग की टीमें व हथियारबंद जवानों की टीम मौके पर पहुंची। वन विभाग ने गांव में खेतों के आसपास इलाके में ट्रेकिंग की। जहां खेत की मिट्टी और आसपास के क्षेत्र में बाघ के पंजों के निशान नजर आए। इससे बाघ के सरसों के खेत में होने की पुष्टि हुई। इसे देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से स्थानीय लोगों को घरों में रहने की अपील की गई।
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत अनियाला क्षेत्र में सोमवार रात को अभ्यारण्य की तरफ से सैंकड़ों की संख्या में रोजड़े, नील गाय, सुअर, हिरन सहित अन्य वन्य जीव निकलकर किसानों के खेतों में घुस गए। संभवतया अल सुबह उनके पीछे एक बाघ भी दहाड़ते हुए आया और दौड़ते हुए खेतों में जा घुसा। दहाड़ सुनकर गांव में रहने वाले किसान घबराकर घरों की तरफ भाग निकले। इस दौरान कई किसानों ने बाघ को देखा था।
घर की छतों पर चढ़कर खदेड़ा था बाघ: स्थानीय निवासी ने बताया कि अभ्यारण्य का यह बाघ रातभर से अनियाला, ओन, बड़वास आदि गांवों सहित इस पूरे इलाके के खेतों में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहा है। बाद में बाघ मंगलवार सुबह करीब 6 बजे अनियाला गांव की बैरवा बस्ती की तरफ आया। इस दौरान बाघ की दहाड़ सुनकर तथा उसे देखकर बेरवा बस्ती के लोगो ने अपने घरों की छतों पर चढ़कर बाघ को लाठी डंडों को बजाकर डरा धमकाकर बड़ी मुश्किल से बेरवा बस्ती में घुसने से रोका। ग्रामीणों ने बताया कि बाद में बाघ अनियाला की बैरवा बस्ती के पास स्थित बलराम व मांगीलाल मीणा के सरसों के खेत में जाकर घुस गया।