अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर जाने वाले जायरीन की दिली तमन्ना होती है कि वे जन्नती दरवाजे से होकर मजार तक जाएं। ऐसा कहते हैं कि इस दरवाजे से जाने के बाद लोगों की इबादत मंजूर और मन्नतें पूरी हो जाती हैं। साल में केवल चार बार खुलने वाले इस दरवाजे से जाने के लिए लोग घंटों खड़े रहते हैं। क्या है पूरा मामला...
अजमेर में सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 804वां उर्स 4 अप्रैल से शुरू हो रहा है। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। dainikbhaskar.com इस मौके पर बता रहा है यहां की कही अनकही कहानियों के बारे में।
कहते हैं इसी दरवाजे से महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मुइनुद्दीन हसन चिश्ती इबादत के लिए गए थे। इसलिए जायरीन इसी दरवाजे से ख्वाजा की मजार तक जाने के लिए लालायित रहते हैं।
- ख्वाजा साहब के उर्स के मौके पर ये दरवाजा रजब महीने की चांद रात को सुबह साढ़े चार बजे खोल दिया जाएगा।
- रजब की 6 तारीख (इस बार 14अप्रेल) को उर्स के कुल के दिन जन्नती दरवाजे को बंद कर दिया जाएगा।
- ये पूरा 6 दिन खुलता है। 6वें दिन दोपहर डेढ़ बजे बंद कर दिया जाता है।
- इसके अलावा ख्वाजा साहब के गुरु हजरत उस्मान हारूनी के उर्स मौके पर 1 दिन के लिए यह दरवाजा खोला जाता है।